Tuesday, May 19, 2015

उसने उस दर्द को आत्मा तक उतारा है ,
बयालीस साल की जिंदगी को नरक की तरह गुजारा है|
हे ईश्वर क्या किया  इन्साफ तूने ,
क्यों उसको बार बार मारा है।




जब  आप  आज न्यूज़  चैनल  खोलेंगे  तो  देखेंगे  कि दिल्ली  मे सरकार  और  गवर्नर  के  बीच  जंग  छिड़ी  हुई  हैं | हो  सकता  है  आप  उसको  देखना  चाहे  या  हो  सकता  है  कि  आप  मोदी  जी  की  विदेश  यात्राओ  मई  ज्यादा रूचि  लेते  हो| लेकिन  उन सबसे  दूर  मुंबई  मे एक  नर्स  अपनी  साँसों  को  छोड़कर  चली  गयी|
आप  सोच  रहे  होंगे  कि इसमें  ऐसा क्या  खास  है! खास  है  क्युकि उसने  छोड़े  है  कुछ  सवाल  हमारे  लिए, आपके  लिए,और  हमारी  न्यायपालिका  के  लिए|


ये  आपको  एक  बॉलीवुड  कि कहानी लग सकती  है, मगर  ये हक़ीक़त  है| अरुणा  शानबॉग  नाम था  उसका, वो  मुंबई  के  किंग  एडवर्ड  मेमोरियल हॉस्पिटल मे  नर्स  थी |27 नवंबर 1973 को सोहनलाल  भरता वाल्मीकि  के  द्वारा  उसका  रेप  किया  गया| जब  अरुणा  चेंजिंग रूम  मे अपने  कपडे  बदल  रही  थी| तब  सोहनलाल  ने  उसको  पकड़  लिया  कुत्ते  की  चैन  से  उसको  बांध  दिए  और  उसको साथ बुरी  तरह  से  यौन सोसड किया| जंजीर  कसने  की  वजह से  उसके  ब्रेन  मे ऑक्सीजन  जाना बंद  हो  गयी  और वो कोमा  मे चली  गयी ,वो  लगातार  बयालीस  वर्षों   तक कोमा  मे  रही ।फिर  उसने 18 नवंबर को  दम  तोड़  दिया  |


अब बात करते है आरोपी की,आरोपी सोहनलाल को अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिए गया।मगर उसके ऊपर रेप के चार्ज नही लगाये गए बल्कि लूटपाट एवं जान से मारने की कोशिश  के  चार्ज (IPC  धारा 307) लगाये  गए | आरोपी को सात साल की सजा हुई उसके बाद वह रिहा हो गया और नाम  बदलकर कहीं और काम करने लगा|


ये हमारी न्यायपालिका है जो हर किसी को इन्साफ देने का भरोसा देती है,हो सकता  है आज भी आरोपी कहीं  शान के साथ घूम  रहा  हो । क्या   जरुरत  नही  है  की  न्यायपालिका मे तेजी लायी  जाये और सुधार किया जाए !सुप्रीम  कोर्ट  की  गाइड  लाइन  के  मुताबिक  हर 10 लाख  लोगो  पर  50 जज  होने  चाहिए  पर  हमारे  यहाँ  सिर्फ  16 जज  है । आपको   बताते  चले  की  US  मे  जजो की  संख्या  100 जज  हर 10 लाख लोगो पर  है|

हम  यहाँ  इन्साफ  के  तराजू  मे तो  उनको  इन्साफ  न  दे  सके,  लेकिन  शायद  ईश्वर  अरुणा  को  इन्साफ  दे  सके |

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आकाश गुप्ता